megasinghisking:::- सम्भोग विवाह -::-Honey Honey·Monday, 30 October 2017 ::- सम्भोग विवाह :
megasinghisking: ::- सम्भोग विवाह -::-Honey Honey·Monday, 30 October 2017 ::- सम्भोग विवाह ::- हर बार आप आनंद और मजे के लिए सम्भोग करते है लेकिन यही sx अगर विवाह करने का जरिया बन जाये तो … !!! सम्भोग विवाह के रीती रिवाजो और विधि विधान को जानने के लिए वक़्त निकाल कर धैर्य से पढ़िए ये कहानी :) _©…vishal..®™सम्भोग विवाह 1वो अप्रैल की गर्मी की शाम थी । शाम हो चुकी थी और मद्धम ठंडी हवाओ के झोंको ने शाम को सुहाना बनाया हुआ था घड़ी की सुई 7 पर जा कर अटकी और टन्न टन्न की साथ आवाज़ से कमरा गूंज गया । मिहिका बेड रूम में बेड पर कमर पर तकिये के सहारे अधलेटी हुई हाथ में रिमोट लिए टीवी पर रोमांटिक फ़िल्मी गानों के चैनल पर रुमानियत की बारिश में पूरी तरह सराबोर गानों का आनंद ले रही थी _©…vishal..®™ वो हलकी झीनी गुलाबी नाइटी पहने हुए थी , अंदर उसने कोई अंगवस्त्र नही पहन रखा था जिससे उसका गोरा, मांसल और गदराया बदन साफ साफ़ दिखाई दे रहा था । _©…vishal..®™ पुरे तन के कपडे में भी मिहिका लगभग नग्न सी ही दिख रही थी । गोल गोल छातियाँ, छत से आँख से आँख लड़ाते सर उठा कर तने हुए गुलाबी निप्पल , सुंदर मुखड़ा, कोमल सुडौल बाहें , बड़े और गोल गोल वक्ष, सपाट पेट, गहरी नाभी, सुगढ़ सुडौल जांघे ,उसकी झीनी गुलाबी नाइटी उसके आकर्षक सुंदर यौवन को ढकने और छुपाने की बजाय और जादा उतेजक और भड़काऊ बना कर पेश कर रही थी ।©…vishal..®™तभी कमरे में “ खट्ट “की आवाज़ हुई मिहिका का ध्यान आवाज़ की ओर गया अपने रेशमी बालों को तेज़ी से झटकती हुई वो आवाज़ की दिशा में पलटी वो बाथरूम के दरवाज़े की खुलने की आवाज़ थी और चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान लिए विशाल दरवाज़े पर खड़ा था _©…vishal..®™ लंबे बाल, उठे हुए कंधे, लंबा चौड़ा बदन फूली हुई छाती, चौड़े कंधे, बलिष्ठ भुजाएं, सपाट और सिक्स पैक ऐब , कसरती मांसल शरीर पर कमर पर लिपटी सफ़ेद तौलिये में अधनंगे बदन में वो बाथरूम के दरवाज़े पर खड़ा एक टक मिहिका को घूरे जा रहा था उसकी आँखों में शैतानी साफ़ साफ़ झलक रही थी उसके अधखुले मुस्कुराते होंठ पर हवस की तरंगे तैर रही थीं । _©…vishal..®™ मिहिका की नज़र विशाल पर थम सी गई थी वो भी लगातार विशाल को घूरे रही थी मानो उसके अंदर की जंगली बिल्ली जाग रही हो और वो आँखों से ही विशाल को नोच खसोट कर लहू लुहान कर देना चाहती हो । दोनों के दोनों अपने उत्तेजक हावभाव , कुटिल मुस्कान और गहरी तीखी निगाहो से एक दूसरे से वासना और हवस की भाषा में चीख चीख कर बात कर रहे थे उनदोनो का अंग अंग एक दूसरे से भिड़ जाने और गुथम गुथी करने को बेचैन होने लगा था । ©…vishal..®™सम्भोग विवाह 2मिहिका की कत्थई आँखों में आँखे डाले मदमस्त धीमी चाल में विशाल मिहिका की ओर आगे बढ़ने लगा , मिहिका भी बेड पर लेटी हुई सहमने की बजाय छाती ताने और आँख से आँख लड़ाए उसका सामना करने को बेकरार दिख रही थी विशाल करीब पहुँच कर बेड का सहारा ले कर बैठ गया वो मिहिका के बहुत करीब आ चूका था इतने करीब की वो दोनों की गरम साँसों को वो एक दूसरे के चेहरे पर महसूस कर रहे थे । _©…vishal..®™ वासना और हवस की आग में तप कर दोनों का जिस्म इतना गरम हो चूका था की उन दोनों के बीच की हवा भी गरम हो गई थी । पलंग के पास बैठा विशाल का धड़ मिहिका की ओर झुकने लगा दोनों के होंठ आपस में जुट जाने को बेताब से हो गए थे । _©…vishal..®™ मिहिका और विशाल दोनों ही एक दूसरे की तरफ चुम्बक की तरह खींचे चले जा रहे थे और इस चुम्बकीय आकर्षण का केंद्र उनदोनो के उन्मादित होंठ थे जो अब एक दूसरे से बिलकुल बुरी तरह से जा चिपके थे । उनदोनो के बदन की ऊष्मा और सारी की सारी ऊर्जा उनके होंठो पर आ टिकी थी जिसको अब वो बारी बारी से एक दूसरे के होंठो को चूस चूस कर आदान प्रदान करने लगे थे । जिस्मानी तपिश और हवस चुम्बनो की बौछार का रूप ले चूका था ©…vishal..®™ गहरे चुम्बनो की चप चुप चप चुप की मद्धम सेक्सी आवाज़ कमरे में गूंजने लगी थी । दोनों में ही एक दूसरे पर हावी होने की होड़ सी मची हुई थी ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वो एक दूसरे को अजगर की तरह निगल लेना चाहते है । मिहिका एक हाथ से विशाल के बालो को लगभग नोचते हुए मज़बूती से पकडे हुई थी और दूसरे हाथ के नाखून से विशाल की चौड़ी पीठ की त्वचा खुरच खुरच कर अपने जोश और उन्माद की दास्ताँ उकेर रही थी । _©…vishal..®™ विशाल का एक हाथ मिहिका के बालो को बेदर्दी से जकड़े हुए था और दूसरा उसके समूचे मखमली जिस्म पर रेंग रेंग का अपना मरदाना अधिपत्य स्थापित कर रहा था । वो मिहिका के गुदाज गदराये अंग अंग को लगातार सहलाता , पकड़ता, दबोचता जा रहा था । दोनों प्रचंड वासना के तेज़ में तपने लगे थे मिहिका विशाल को अपने उप्पर खीचने की कोशिश करने लगी और विशाल भी धीरे धीरे घने बदल की तरह मिहिका के जिस्म पर छाने लगा । उसने अपने लंबे चौड़े बदन से मिहिका तो पूरी तरह ढक लिया था ©…vishal..®™ और दोनों के दूसरे से ऐसे चिपक चुके थे की उनके बीच हवा का एक कतरा भी शेष नही था अगर कुछ था तो बस एक दूसरे में समा जाने की भूख थी, दोनों के दो अलग अलग जिस्म एक दूसरे से अब ऐसे चिपक गए थे की अब वो दो नही एक दिख रहे थे अर्धनारीश्वर की तरह आधा नर और आधी नारी का रूप ले चूका उनका सम्भोग विवाह 3 _©…vishal..®™ इसधर विशाल मिहिका के बदन पर छाया हुआ था और कामवासना विशाल के मस्तिष्क पर छाती जा रही थी , विशाल का हाड मांस का मीनार तन कर टाइट हो गया था और मिहिका को उसके जांघ पर चुभ रहा था , मिहिका को समझते देर नहीं लगी की अब विशाल उसकी गहराई को मापने की तैयारी में है _©…vishal..®™ विशाल तेजी से मिहिका की नाइटी उप्पर सरकाने लगा तभी मिहिका ने उसका हाथ रोक लिया और बोली विशाल हम काफी दिनों से रिलेशन में है लेकिन हमने अभी तक शादी के बारे सोचा था नहीं है , शादी से पहले बार बार ये सब करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता प्लीज छोड़ दो मुझे मुझे नहीं करना ये सब विशाल अब खुद को रोकने की स्थिति में नहीं था उसके मन का घोडा बेलगाम हो चूका था अब वो रुकने को कतई राज़ी नहीं था वो फिर भी ना रुका और मिहिका के कपडे खोलने की कोशिश करने लगा मिहिका को समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे क्या ना करे , _©…vishal..®™ एक पल को वो विशाल को झटक कर खुद से दूर कर देना चाहती थी लेकिन फिर ये सोच कर की उसे बुरा लग जायेगा और वो रुठ जायेगा उसे रोक भी नहीं पा रही थी इस असमंजस में उसे खुश भी नहीं सूझ रहा था , इस बार वो इस बेनामी रिश्ते का सम्भोग नहीं करना चाहती थी वो अंदर ही अंदर दुखी होने लगी और उसका दुःख उसके दोनों आँखों के कोरों से आंसू के बूंदों का रूप ले कर बहार छलक आया जोश में मदमस्त विशाल मिहिका के गालों पर बेतहाशा चुम रहा था _©…vishal..®™ और अचानक से उसे अपने होंठो पर पानी महसूस हुआ उसने उस पानी की बून्द को चखा जिसका स्वाद उसे आंसू सा प्रतीत हुआ तत्काल वो थम सा गया उसने आँखे खोली और उसपर मानो वज्रपात हो हो गया हो उसके दिलो दिमाग से वासना की सारी गर्मी काफूर हो चुकी थी वो भी मिहिका के आंसू देख कर अपने दिल में पचंद पीड़ा महसूस करने लगा था , उसका प्यार , उसकी जान , उसकी महबूबा आखिर क्यों रो रही है ये सवाल उसे परेशान करने लगा था ये क्या !! मिहिका तुम रो क्यों रही हो ? क्या हुआ मिहिका , क्या हुआ मेरी जान ? वो लगातार बार बार मिहिका से पूछता जा रहा था और मिहिका बिना कुछ बोले अपनी होंठो को भींचे रो रही थी , उसके आँखों से आंसुओ की अविरल धारा बहती ही जा रही थी विशाल तुरंत उससे अलग हो गया और उसके पास बैठ गया उसने प्यार से उसकी हथेली को अपने एक हाथ में थमा और और दूसरे से कभी उसके आंसू पोंछता तो कभी गाल सहलाता और कभी बच्चे के जैसे उसके बाल सहलाता थोड़ी देर में मिहिका शांत हुई , उसने अपनी सांसो को संभाला और फिर कांपते हुए होंठो से बोली विशाल, बिन ब्याह मुझे अब ये सब करना सही नहीं लगता मेरा मन नहीं मानता इस सब के लिए क्या करूँ तुम ही बोलो , खैर ये छोडो मैंने तुम्हारा मूड खराब कर दिया ना , प्लीज मुझे माफ़ कर दो विशाल प्लीज मुझे माफ़ कर दो , _©…vishal..®™ मैं ऐसे वक़्त पर रोना नहीं चाहती थी लेकिन खुद को रोक ना पाई और …… मुझे माफ़ कर दो हनी मुझे माफ़ कर दो , ऐसा कहते हुए उसने खुद से अपने गाउन नुमा नाइटी को खोल दिया उसके दोनों गोल सुडौल स्तन बाहर निकल आये उसने अपनी दोनों बाँहों को विशाल की तरफ फैला दिया और बोली आ जाओ मुझे मेरी सजा दे दो , आओ विशाल अपना काम पूरा का लो इस बार मैं नहीं रोउंगी पक्का प्रॉमिस , आ जाओ प्लीज़ विशाल चुपचाप उसके एक एक बात को सुनता रहा था वो धीरे से मुस्कुराया और बोलै नहीं मिहिका अब ऐसे नहीं विवाह के बंधन में बांधकर ही ये सब करूँगा जो काम तुम्हे दुःख दे वो काम नहीं कर सकता मिहिका मुझे नहीं पता था की तुम इस बारे इतनी इमोशनल हो , अब तुम्हारे इमोशन से नहीं खेल सकता मैं नहीं करूँगा , _©…vishal..®™ मैं तुमसे प्रेम प्रदर्शन करने के लिए सेक्स करता हूँ वासना की पूर्ति के लिए नहीं मिहिका , नहीं कर सकता और ऐसा बोल कर उसने मिहिका का तन उसके कपडे से ढक दिया मिहिका को और बुरा लगने लगा वो बोली नहीं अब आज तो करना ही पड़ेगा तुम्हे तुम ऐसे छोड़ जाओगे तो मेरे दिल पर ये सब बोझ सा हो जायेगा उसने विशाल को अपनी बाँहों में भर लिया और चूमने लगी उसे उत्तेजित करने के लिए वो अपने वक्ष उसके सीने से चिपकाने लगी विशाल उसकी मनोस्थिति को समझ रहा था … उसने मन ही मन थोड़ा सोचा, उसके होंठों पर कुटिल मुस्कान खेल गई , उसने मिहिका को खुद से अलग किया और बोला - मिहिका एक मिनट रुको , मिहिका कुछ बोले इससे पहले उसने मिहिका के होंठों पर अपनी उंगली रख दी और चुप रहने का इशारा किया उसने लपक कर पलंग पर रखे मोबाइल को उठाया और कॉल मिलाया - मिहिका चुपचाप देखती रही सम्भोग विवाह part 4मिहिका का तन उसके कपडे से ढक दिया मिहिका को और बुरा लगने लगा वो बोली नहीं अब आज तो करना ही पड़ेगा तुम्हे तुम ऐसे छोड़ जाओगे तो मेरे दिल पर ये सब बोझ सा हो जायेगा उसने विशाल को अपनी बाँहों में भर लिया और चूमने लगी उसे उत्तेजित करने के लिए वो अपने वक्ष उसके सीने से चिपकाने लगी विशाल उसकी मनोस्थिति को समझ रहा था … _©…vishal..®™ उसने मन ही मन थोड़ी देर को कुछ सोचा, फिर उसका चेहरा अचानक से खिल सा गया मानो उसे कोई जबरजस्त सी युक्ति सूझ गई थी , उसके होंठों पर एक कुटिल मुस्कान तैर गई , उसने मिहिका को खुद से अलग किया और बोला - मिहिका एक मिनट रुको , मिहिका कुछ बोले इससे पहले उसने मिहिका के होंठों पर अपनी उंगली रख दी और चुप रहने का इशारा किया उसने लपक कर पलंग पर रखे मोबाइल को उठाया और कॉल मिलाया - मिहिका चुपचाप देखती रही _©…vishal..®™ विशाल ने फ़ोन पर बात करते हुए कहा , हैल्लो , प्रणाम माँ, माँ मैं जल्द से जल्द मिहिका से शादी कर लेना चाहता हूँ आप कोई अच्छा सा मुहूर्त निकलवा लीजिये वैसे भी सगाई हुए काफी महीने हो गए है और अब अगले महीने मुझे दूसरे शहर भी जाना है मेरा टांस्फर हो गया था तो मिहिका साथ होगी तो मुझे आराम मिल जायेगा नहीं तो पका पका के कौन खायेगा माँ _©…vishal..®™ एक ही साँस में उसने अपना तुगलकी फरमान जारी कर दिया और बिना कुछ सुने बोला माँ ुरजेण्ट मीटिंग होने वाली है मैं जा रहा हूँ बाद में बात करता हूँ बाय और बिना कुछ सुने ही फोन काट दिया उसने उसने जैसे ही फ़ोन रखा मिहिका ख़ुशी के मरे उछाल पड़ी और उसने विशाल को बाँहों में भर लिया और बिस्तर पर पटक कर खुद ही उसके उप्पर चढ़ गई वो बहुत ही खुश हो गई थी और अपनी ख़ुशी का इज़हार वो विशाल के गाल , गर्दन , छाती बाँहों पर लगातार चुम चुम कर कर रही थी _©…vishal..®™ वो बोली आओ लूट लो मुझे सब तुम्हारा है अपनी अमानत को लूट लो विशाल लूट लो इसे अपना बना लो विशाल ने उसे रोका और बोला , मिहिका जरा रुको तो बाबा , देखो तुम दुखी थी की शादी से पहले ये सब नहीं करना है , और अब जल्दी ही हमारी शादी हो भी जाएगी लेकिन ……… लेकिन क्या !!! मिहिका असमंजस भरी निगाहो से उसे देखते हुए पूछी देखो मुझे ये सब नहीं सुन्ना आप तुम ये अधूरा काम पूरा करो , मैं चाहती हूँ , मैं बोल रही हूँ , मेरी भी इक्षा है, अब मुझे करना है देखो अब नखरे मत करो और चुपचाप आ जाओ _©…vishal..®™ विशाल मुस्कुराया और बोला जब शादी होगी तब होगी मिहिका मुझे तो तुमसे आज और अभी शादी करनी है मिहिका - अरे यार क्या दीवानो सी बात कर रहे हो तुम अभी कैसे संभव है पागल !!!! विशाल - संभव है मिहिका सब संभव है मिहिका - तुम्हे जो करना है करो लेकिन अभी मुझे तृप्त करो उसके बाद अपने ख्याली पुलाव पकाते रहना तुम , अब आ जाओ , देर मत करो , मेरा मूड ऑफ हो जायेगा फिर विशाल ने उसके गाल चूमे और बोला आ रहा हूँ बेबी लेकिन अभी हमारे बीच सेक्स नहीं शादी होगी _©…vishal..®™ मैं अभी तुमसे सेक्स करते हुए शादी करूँगा , और ये विवाह कोई नार्मल शादी नहीं मिहिका ये सम्भोग विवाह है ” सम्भोग विवाह “ अरे यार, ये क्या बकवास कर रहे हो तुम ये क्या होता है मेरे मजनूं ? _©…vishal..®™ विशाल ने बड़े प्यार से अपनी गरम हथेलियों में उसके गाल थामा और उसके होंठ चूमते हुए बोला तुम बस देखती जाओ और तैयार हो जाओ अपने सम्भोग विवाह के लिए सम्भोग विवाह _©…vishal..®™ part 5अच्छा जी तो चलो मैं भी देखूं क्या होता हो सम्भोग विवाह , आज ये भी हो ही जाये जोर से खिलखिला कर मिहिका विशाल के होंठो को चूमते हुए खुश अंदाज़ में बोली _©…vishal..®™ अब बताओ मुझे क्या करना है मेरी शादी के लिए ?-:: हल्दी ::-विशाल मुस्कुराते हुए पलंग से नीचे उतरा उसने कहा तुम दुल्हन हो अभी तुम्हे कुछ नहीं करना है बस चुपचाप वो करती जाओ जो मैं कहता हूँ और अपनी इस सेक्सी शादी को इंजॉय करो मेरी दुल्हन उसने ऐसा कह कर अपने कदम फ्रिज की और बढ़ा दिए फर्ज खोला और उसमे से मैंगो और पिस्ता फ्लेवर की हलके पिले रंग का आइस क्रीम निकला _©…vishal..®™ और मिहिका के सामने आ कर खड़ा हो गया उसने मिहिका के कपडे निकाल दिए और आइस क्रीम को मिहिका के बदन पर गिराने लगा मिहिका ठन्डे एह्साह से उछल पड़ी और चीखते हुए बोली ये कैसा सम्भोग विवाह है यार _©…vishal..®™ विशाल में मुस्कुराते हुए कहा ” डार्लिंग ये विवाह नहीं है विवाह के लिए तुम्हे हल्दी लगाने की तैयारी है ये पीला आइस क्रीम तुम्हारा उपटन है बेबी मुझे से लगा लेने दो मिहिका जवाब में शरमाते हुए सिर्फ मुस्कुरा कर रह गई और खुद को निढाल छोड़ दिया उसने . विशाल उसके बदन पर कई जगह आइस क्रीम निकाल कर रख दिया और जीभ से चाटते हुए उसे उसके बदन पर फ़ैलाने लगा . एक एक कर उसने बहुत ही सेंसुअल तरीके से जीभ के सहारे उसके पेट हाथ और पैरो पर उस हलकी पिली आइस क्रीम को फैलाता गया और उसके हल्दी की रसम पूरी करता रहा . _©…vishal..®™ उसकी गर्म लपलपाती जीभ और आइस क्रीम का मिला जुला ठंडा गरम एह्साह मिहिका को अपने कोमल बदन पर बहुत उत्तेजक लग रहा था , वो सेंसुअलिटी से मस्त हो रही थी और उसका मखमली बदन हल्के हल्के थरथरा रहा था वो विशाल की लपलपाती जीभ को अपने बदन पर रेंगते हुए महसूस कर रही थी और विशाल यही कोशिश कर रहा था की उसके बदन की एक सुई के नोख बराबर स्किन भी साबुत ना रहने पाए और आराम से बहुत ही कोमलता से उसके बदन को चाट चाट कर क्रीम फैलाता गया . जब उसे तसल्ली हो गई की मिहिका को अच्छी तरह से हल्दी लग चुकी है तो वो धीरे से मिहिका को अपनी बलिष्ठ बाँहों में गोद में उठा लिया और उसे ले कर बाथरूम की तरफ जाने लगा-:: स्नान ::- _©…vishal..®™ मिहिका हँसते हुए उसके गले में अपनी बाँहों को डाले उसकी बाँहों में झूलती चली जा रही थी अब दोनों बाथ रूम में थे , विशाल ने उसे गोद से ठीक शावर के नीचे उतरा और दिया और शावर चालू कर दिया , _©…vishal..®™ दोनों साथ साथ भीगने लगे मिहिका समझ गई थी की विशाल अब उसे विवाह के पूर्व का स्नान करवा रहा है विशाल ने अपने खुद के बदन पर खूब सारा जेल उढेल लिया और मलमल कर खूब सारा झाग बना लिया उसने और फिर वो मिहिका के करीब आ गया उसने मिहिका का हाथ पकड़ कर उसे अपने सीने से चिपका लिया और अपनी छाती से उसकी छाती को रगने लगा , _©…vishal..®™ उसने अपना एक एक अंग उसके अपनों से धीरे धीरे रगड़ना शुरू कर दिया हाथ से हाथ , पाँव से पाँव , पेट से पेट , गाल से गाल पीठ से पीठ और गुप्तांगो से गुप्तांग विशाल और मिहिका के बदन साबुन की चिकनाई और झाग से बहुत ही ज्यादा फिसल रहे थे _©…vishal..®™ स्किन से स्किन पर इस नाज़ुक फिसलन के एहसास से दोनों ही मदमस्त हुए जा रहे थे मिहिका की आँखे बंद हुई जा रही थी और वो मस्ती में चूर हो गई थी अचानक विशाल ने फिर से शावर खोल दिया और सारा झाग उनके बदन से निकल कर पानी के साथ बह निकला अब मिहिका का स्नान पूरा हो चूका था-:: टावल ::-विशाल ने उसे फिर से गोद में उठा लिया और बाथरूम से बाहर ले आया उसने उसे पावदान पर खड़ा कर दिया और उसे देखने लगा मिहिका बोली _©…vishal..®™ अरे यार जाने दो मुझे बदन तो पोंछने दो देख नहीं रहे हो कितना पानी है मेरे शरीर पर विशाल ने उसे फिर से रोका और कहा - आज तुम्हारी शादी है और दुल्हन अपना बदन खुद नहीं पोंछती डिअर रुको मैं पानी सूखा देता हूँ _©…vishal..®™ ऐसा कह कर वो मिहिका के करीब गया और अपने होंठो को गोल कर मिहिका के गाल कंधे पीठ बाहों पर से पानी की बूंदों को सूउऊउउउ सूउऊउउउ कर हवा के साथ पानी की बूंदो को भी अंदर खींचते सोखने लगा . _©…vishal..®™ जिधर जिधर उसके गर्म होंठ मिहिका के बदन पर रेंगते वो तो बस सिहर उठती उसके रोम रोम खड़े होने लगे थे विशाल ने एक एक कर मिहिका के पुरे बदन का पानी सोख लिया और उसे पूरा सूखा दिया-:: दुल्हन का जोड़ा ::-मिहिका उसकी चालाकी देख कर खुश हो रही थी फिर कुछ सोच कर वो बोली - अब मेरे दुल्हन वाले कपडे भी पहना ही दो और आँख मार दी _©…vishal..®™ विशाल ने कहा जानू ये सम्भोग विवाह है इसमें कपडे तो पहनाउंगा लेकिन ये कपडे सेक्स और रुमानियत के एह्साह के कपडे होंगे रेशमी धागे से बने कपडे नहीं ऐसा कह कर वो उसे फिर से बीएड पर ले गया और अपनी जीभ से फिर से उसे चाटने लगा _©…vishal..®™ उसने सबसे पहले उसके कमर पर चाटना शुरू किया और कहा मेरे इश्क़ , प्यार और मोहब्बत से लबालब मेरे थूक की परत तुम्हे तुम्हारी पैंटी पहना देगी और उसने पैंटी जितनी एरिआ को चाट कर उसे उसकी पैंटी पहना दी , फिर उसने उसके ब्रेस्ट निप्पल्स और पीठ को चाट कर उसको ब्रा पहनाया _©…vishal..®™ और इसी तरह पुरे बदन पर चाट चाट कर उसके अपने प्रेम और वासना से ओतप्रोत थूक की परत से उसे उसका दुल्हन का जोड़ा पहना दिया था-:: श्रृंगार ::- _©…vishal..®™ विशाल ने मिहिका का पर्स उठा लिया था _©…vishal..®™ और उसमे से काजल लिपस्टिक और पावडर निकाल लिया मिहिका असमंजस से उसे देख रही थी की ये आप इनसे क्या करने वाला है वो कुछ पूछती इससे पहले विशाल ने काजल को अपने मर्दानी ताकत के टिप पर लगा लिया _©…vishal..®™ और उसे आँखों पर घिसने लगा मिहिका के पूरी पलकें हलकी काली हो गई वो बोली ये क्या है यार काजल आँख में लगता है या पलकों पर ? विशाल ने उसे छेड़ते हुए कहा जानू ये सम्भोग विवाह है _©…vishal..®™ इसमें श्रृंगार करने से नहीं होता बस हो जाता है तुम लगवाती जाओ और हंसने लगा और बहुत ही सावधानी से उसने आंको पर काजल लगा दिया फिर उसने अपने गाल पर पावडर लगाया और उसके गाल पर रगड़ का पावडर लगा दिया और फिर _©…vishal..®™ विशाल ने अपने होंठ लिपस्टिक से रंग लिए और अपने होंठ उसे होंठो से जा मिलाया और सेंसुअल गर्शन दे कर लिपस्टिक के रंग से उसका होंठ रंग दिया उसने मिहिका का सम्भोग विवाह का श्रृंगार पूरा हो चूका था::- आभूषण -::विशाल लगातार उसके बदन को जहा तहँ चूमता चाटता जा रहा था _©…vishal..®™ और मिहिका के जोश को सातवे आसमान पर ले जा चूका था _©…vishal..®™ मिहिका बस निढाल सी पड़ी अपने इस सम्भोग विवाह की मस्ती को इंजॉय कर रही थी और मस्ती के समंदर में गोते खा रही थी तभी विशाल ने कहा मिहिका तुम्हारे गहने तुम्हे पहनने का वक़्त आ गया है _©…vishal..®™ और विशाल ने मिहिका के गर्दन पर दांत काट लिया उसने बड़े ही संतुलित तरिके से दांत काटा न ज्यादा जोर से ना बहुत हलके बस इतना की मीठा सा दर्द हुआ मिहिका को और उसकी सिसकारी निकल आई , _©…vishal..®™ और विशाल ने pain with plasure का दौर शुरू कर दिया विशाल पहले मिहिका के गर्दन को को अपनी जीभ से चाटता और फिर किसी ड्रैकुला की तरह वह दांत गड़ा देता _©…vishal..®™ उसने बारी बारी से मिहिका के पुरे गर्दन पर दांत काट कर दांत के हलके निशान बना दिए , देखने में ऐसा लग रहा था मानो मिहिका में मोतियों का हार पहना हो विशाल अब उसके कंधो को चाटता, चूमता उसके बाजू पर आ गया और एक -एक कर उसके दोनों बाजु और कलाइयों पर दन्त के निशान बना कर उसे _©…vishal..®™ अपनी दांत के निशान बना कर बाजूबंद और चूड़ियां पहना दीं उसने फिर वो मिहिका के अंग अंग को अपनी गीली लपलपाती जीभ से सहलाता और चाटता हुआ उसके नाभि पर आ कर मिहिका के नाभि को जीभ की टिप से सहलाया गिला किया _©…vishal..®™ और सिर्फ एक बाईट काट कर नाभि पर भी नाग पहना दिया फिर थड़ा निचे सरका कर कमर पर आया और पुरे कमर पर दाँतों से काट कर कमरबंद बना दिया _©…vishal..®™ वो रुका नहीं मिहिका के जांघ, इनर थाई, हिप, घुटने , पिंडलियों और पुरे पाँव पर अपनी चिपचिपी लपलपाती जीभ से गुदगुदी लगता हुआ उसके टखने तक आ पहुंचा था , _©…vishal..®™ उसने उसके टखने पर भी दन्त से पायल बनाये और फिर पाँव के अंगूठे तक आ पहुंचा था _©…vishal..®™ आने मिहिका के पाँव के अंगूठे को अपने मुँह में भर लिया था और उसे चूस रहा था एक एक कर उसने मिहिका की पाँव की हर उंगली को मुँह में ले कर चूसा और दो दो उँगलियों पर काट कर उसे बिछिया पहनाया उसने अब मिहिका का पूरा बदन विशाल के दाँतों के दाग से सज चूका था , _©…vishal..®™ गोरी मिहका के बदन पर दाँत का लाल लाल निशान ऐसा लग रहा था मानो उसने लाल मोतियों के बने गहने पहन रखे हैं ::- अग्नि -::मिहिका ने अपना पूरा बदन देखा विशाल के दांतो के निशान देख कर अब उसमे भी बदला लेने की भावना जगी और वो भी किसी जंगली बिल्ली की तरह उसपर टूट पड़ी _©…vishal..®™ उसने भी विशाल को बाजु छाती गर्दन कमर पर बेतहाशा चूमना चाटना और काटना शुरू कर दिया विशाल भी काम नहीं पड़ना चाहता था वो भी मिहिका से उलझ गया _©…vishal..®™ और दोनों में प्रेम और वासना की गुथम गुत्थी मच गई दोनों के दोनों वहशीपने पर उतर आये और एक दूसरे से जंगलियों की तरह उलझ विशाल कभी उसके होंठ चूसता, कभी मिहिका उसके मुंह में अपना जीभ डालती , _©…vishal..®™ दोनों एक दूसरे के कान चबाते , एक दूसरे के गुप्तांगो को उंगली और हाथ से छेड़ते , विशाल उसके बूब्स चूसता तो मिहिका उसके बाल नोचती हवस और सेक्स की ऐसी गर्मी मच गई थी _©…vishal..®™ दोनों की बीच की दोनों के दोनों वासना की आग में जलने लगे थे उनकी वासना और हवस की आग ने अग्नि कुंड बना दिया था _©…vishal..®™ ::- मंत्रोचारण -::मिहिका मस्ती में मग्न हो कर आअह , ऊऊह्ह्ह की _©…vishal..®™ सिसकारियों पे सिसकारियां ले रहे थी और विशाल किसी मदमस्त सांड सा हुंकारें भर रहा था उनकी इस वासना की मदमस्त और उत्तेजक आवाज़ से सम्भोग विवाह का मंत्रोच्चारण हो रहा था_©…vishal..®™ ::- फेरे -:: वासना की अग्नि जल चुकी थी , _©…vishal..®™ हवस का मंत्रोचारण प्रारम्भ हो चूका था और अब वक़्त था फेरे लेने का तो विशाल ने मिहिका को लिटा दिया _©…vishal..®™ और उसके दोनों टैंगो के बीच समा गया और अपनी मरदाना लट्ठ से मिहिका के लव होल पर जोरदार झटके मारने लगा , विशाल का प्रहार ऐसा कठोर और बलवान होता था की मिहिका हर धक्के से 4 - 5 इंच उप्पर सरक जाती , _©…vishal..®™ विशाल ने ठोकर पे ठोकर मारे और मिहिका को बेड पर सरकता रहा फेरे शुरू हो चुके थे पहला फेरा - मिसनरी पोज में पूरा किया गया , _©…vishal..®™ दूसरा फेरा - मिहिका ने विशाल के उप्पर चढ़ कर उसके आदम घोड़े की सवारी कर के पूरी की _©…vishal..®™ तीसरे फेरे -में मिहिका को घोड़ी बना कर उसके लम्बे बालो की लगाम थाम कर विशाल ने दौड़ पूरी की _©…vishal..®™ चौथा फेरा - मिहिका ने बेड पर ही दिवार का सहारा ले कर झुक कर खड़ी हुई _©…vishal..®™ और विशाल से पीछे से उसको ठाप खा खा के पूरा किया पांचवे फेरे -में विशाल bridge ब्रिज बना और मिहिका ने पूल पर मीठे झटके मार कर चहलकदमी की _©…vishal..®™ छठा फेरा -भी मिहिका ने ही रिवर्स काऊ गर्ल पोज में विशाल के घोड़े की सवारी कर पूरी की _©…vishal..®™ सातवां फेरा -विशाल ने पूरा किया उसने मिहिका को अपनी गोद में उठा लिया मिहिका ने भी अपने पाँव से उसकी कमर को जकड लिया था और उसके गर्दन पे अपने हाथ लपेट ली थी विशाल मिहिका के गोल गुम्बदों को पकड़ कर उसके छोटे गुफा को अपने मरदाना जानवर पर उठा उठा के पटक रहा था _©…vishal..®™ सात अलग अलग पोज और आसनो में बेड के कई चक्कर लगा लगा के _©…vishal..®™ और एक दूसरे की सवारी कर उनदोनो ने अपने सात फेरे पुरे कर लिए थे ::- सिंदूरदान -::एक घंटे की गुत्थम गुत्थी और वहशियाना सेक्स के बाद अब उनका जोश अपनी अपनी चरम पर पहुँचने लगा था दोनों के अंदर का हवस का तूफान अब अपनी चरम पे आ पहुंचा था मिहिका का काम पूरा हो चूका था _©…vishal..®™ वो अपने चरमोत्कर्ष पर आ पहुंची थी एक लम्बी और जोरदार मादक चीख के साथ उसकी वासना की गुफा से हवस को ठंडा कर देने वाली झरने की धारा फुट गई , _©…vishal..®™ मिहिका थरथराते हुए जोर जोर से सांसें ले रही थी और हांफ रही थी वासना से तमतमाया उसका चेहरा पर बेहद शांति और परम सुख के अनुभूति साफ़ साफ़ झलक रही थी विशाल ने मिहिका को अपनी गोद से उतरा और अपने दोनों टांगो के बीच उसे गुणो के बल बैठा लिया _©…vishal..®™ उसने मिहिका के खुले और उलझे हुए बालो को उंगलियों से सहलाया और उसके बाल को बीच से दो भाग में कर उसकी मांघ निकल दी उसने मिहिका शांत बैठी हांफ रही थी और अपनी सांसो पर नियंतरण करने की कोशिश कर रही थी _©…vishal..®™ और विशाल अपने दाहिने हाथ से अपनी मरदाना हाड मांस के मीनार को जोर जोर से और जल्दी जल्दी हिला रहा था विशाल की आँखें बंद हो गई उसका बदन में हलकी कम्पन हुई , _©…vishal..®™ उसके मुँह से चिंघाड़ सी निकली और उसके पुरुषत्व से गाढ़े सफ़ेद मलाई की एक धार फुट गई _©…vishal..®™ जिसे विशाल ने मिहिका की मांघ पर सावधानी से निकाल दिया विशाल के रक्त और मज्जा से बना प्राण और जीवन दायक द्रव्य के सफेद सिंदूर से मिहिका का सिंदूर दान हो गया था मिहिका का सम्भोग विवाह अब पूर्ण हो चूका था _©…vishal..®™ अपने मांघ में गरम लावे की गर्मी का एहसास उसे भली भांति हो रहा था वो शांत पड़ी पड़ी कुवारी से सुहागन होने के अपने इस अनोखे पल को भरपूर इंजॉय कर रही थी _©…vishal..®™ ::- पुष्प वर्षा -:: विशाल ने मिहिका को गोद में उठा कर काफी मेहनत किया था _©…vishal..®™ उसके बदन से पसीने फुट गए थे सारा चेहरा छाती पीठ बाल पसीने से लथ-पथ थे वो आराम के लिए खड़ा खड़ा ही मिहिका के ऊपर थोड़ा सा झुका हुआ था और उसके बदन और बाल से पसीने की बूंदें _©…vishal..®™ मिहिका के बदन पर टप-टप चू रही थीं ऐसा लग रहा था जैसे सिंदूर दान के बाद मिहिका पर फूल की पंखुडिया फेंकी जा रही है थोड़ी देर में दोनों ने अपने अपने साँस पर काबू पाया , उनकी आँखों से अब जोश और उन्माद की परत उतर चुकी थीं , _©…vishal..®™ वासना से तमतमाया चेहरा शांत पड़ चूका था , वासना की अग्नि में झुलसता बदन शीतल हो चुका था अब वो एक बार फिर से अपने होशो हवास में आ चुके थे विशाल ने मिहिका को कंधो से पकड़ कर उठाया और सीने से लगा लिया और मुस्कुराता हुआ शरारती अंदाज़ में उसके कान में धीरे से फुसफुसाया _©…vishal..®™ लो हो गया तुम्हारा सम्भोग विवाह अब तुम मेरी ब्याहता पत्नी हो और मैं तुम्हारा पति - शादी मुबारक हो मिहिका _©…vishal..®™ . -- source link
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